Tuesday, 6 August 2013

परमेश्वर के खेल निराले

परमेश्वर के खेल निराले,
कितने प्यारे-प्यारे हैं।
असमान है उसका छाता,
 जिसमें टंके सितारे है।।

घुमा रहा है रात -दिनों की ,
फिरकी काली -पीली।
घरती उसकी गैद बनी ,
कुछ मैली कुछ चमकीली।।

बिजली की आतिशबाजी है ,
बादल के फ़व्वारे है।
परमश्वर के खेल निराले ,
कितने प्यारे -प्यारे ह। ।

हाथी ,घोड़ा ,ऊँट, आदमी ,
चिड़िया या मृगछौने।
सभी जीव है उस ईश्वर के ,
चाबीदार खिलौने। ।

चंदा -सूरज श्वेत -सुनहरे ,
उसके दो गुब्बारे है।
आसमान है उसका छाता ,
जिसमे टंके सितारे है।

--डॉ मोहन अवस्थी